Jazbaat mere kahin kuchh khoye huye se hain,
Kahu kese wo tumse thoda shrmaye huye se h
Par aaj na rok sakunga jazbaato ko main apne,
Krte h pyar hm tumhi se pr ghbraye huye se hai
जज़्बात मेरे कहीं कुछ खोये हुए से हैं ,
कहु कैसे वो तुमसे थोड़ा शर्माए हुए से है
पर आज न रोक सकूंगा जज़्बातों को मैं अपने ,
करते है प्यार हम तुम्ही से पर घबराये हुए से है
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