एक बार संता और बंता, किसी बियर बार में बियर पीने गये। जब वह पीने लगे तो बंता बोला,
"लगता है बाहर बारिश हो रही है। तुम ऐसा करो घर जाकर जल्दी से छतरी ले आओ।"
संता गुर्राया: मुझे पता है मेरे जाने पर तुम मेरी सारी बियर पी जाओगे।
बंता ने उसे यकीन दिलाया कि वो उसकी बियर नहीं पियेगा। उसके हिस्से की बियर ज्यों की त्यों रखी रहेगी।
संता यह सुनकर मान गया और छतरी लेने चला गया।
जब रात गहराने लगी पर संता छतरी लेकर नहीं लौटा तो बंता ने सोचा शायद संता घर पर ही रुक गया है और अब नहीं आएगा।
यही सोच कर उसने संता का बियर वाला गिलास उठाया ही था कि बार के एक कोने की छोटी सी खिड़की से तेज आवाज आई, "अगर पीओगे तो मैं छतरी लेने नहीं जाऊंगा।"
"लगता है बाहर बारिश हो रही है। तुम ऐसा करो घर जाकर जल्दी से छतरी ले आओ।"
संता गुर्राया: मुझे पता है मेरे जाने पर तुम मेरी सारी बियर पी जाओगे।
बंता ने उसे यकीन दिलाया कि वो उसकी बियर नहीं पियेगा। उसके हिस्से की बियर ज्यों की त्यों रखी रहेगी।
संता यह सुनकर मान गया और छतरी लेने चला गया।
जब रात गहराने लगी पर संता छतरी लेकर नहीं लौटा तो बंता ने सोचा शायद संता घर पर ही रुक गया है और अब नहीं आएगा।
यही सोच कर उसने संता का बियर वाला गिलास उठाया ही था कि बार के एक कोने की छोटी सी खिड़की से तेज आवाज आई, "अगर पीओगे तो मैं छतरी लेने नहीं जाऊंगा।"
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