इंग्लैंड में एक बार चाय पिते समय एक ब्रिटिश ने स्वामी विवेकानंद से कहा,
"सभी लोग कप से चाय पी रहे हैं, और आप असभ्य की तरह प्लेट से पी रहे हैं"
स्वामीजी ने सुंदर बात कही,
" इस समय यदि कोई आता है, तो आप की चाय झूठी हो चुकी हैं, पर मैं चाय के लिये आग्रह कर सकता हूँ...... ये हमारी मिलबाँट कर खाने वाली भारतीय सभ्यता हैं." ।।।
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