संता एक बार अफ्रीकन सफारी घूमकर इंडिया आया और अपने देसी दोस्त बंता से मिलने गया और उसे किस्सा सुनाने लगा-
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"मैं जंगल में था तभी मैंने झाड़ी के पीछे से एक आवाज़ सुनी।"
जैसे ही मैंने मुड़के देखा, वहां एक बहुत बड़ा शेर था।
वो अपने नाख़ून सहला रहा था और मुझे देख के मुस्कुरा रहा था।
अचानक एक भयानक दहाड़ मार कर वो मुझ पर झपटा।
मैंने पूरी ताक़त से दौड़ना शुरू कर दिया।
शेर ज्यादा पीछे नहीं था। वो मेरी गर्दन दबोचने ही वाला था कि वो अचानक फिसला और मैं थोड़ा आगे निकल गया।"
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"शेर फिर मेरे पीछे लग गया। वो फिर मेरे पास आने ही वाला था कि अचानक वो फिर फिसला और मैं फिर आगे निकल गया।
तभी मुझे कुछ दूर पर एक घर दिखा।
मैंने उस घर की तरफ दौड़ना शुरू कर दिया।
शेर अब भी मेरे पीछे था। वो फिर मेरे एकदम पास आ गया।
वह मुझे पकड़ने ही वाला था की वो तीसरी बार फिसला।"
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"अपनी बची खुची ताक़त बटोर कर मैं घर के अन्दर भागा और शेर के मुंह पर दरवाज़ा बंद कर दिया।"
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बंता : "वाह यार, मान गया तुझे। तू तो बहुत बहादुर है। मैं तेरी जगह होता, तो मेरी तो पोटी ही निकल जाती "
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संता : पागल, शेर फिसल किस चीज़ पर रहा था ???
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"मैं जंगल में था तभी मैंने झाड़ी के पीछे से एक आवाज़ सुनी।"
जैसे ही मैंने मुड़के देखा, वहां एक बहुत बड़ा शेर था।
वो अपने नाख़ून सहला रहा था और मुझे देख के मुस्कुरा रहा था।
अचानक एक भयानक दहाड़ मार कर वो मुझ पर झपटा।
मैंने पूरी ताक़त से दौड़ना शुरू कर दिया।
शेर ज्यादा पीछे नहीं था। वो मेरी गर्दन दबोचने ही वाला था कि वो अचानक फिसला और मैं थोड़ा आगे निकल गया।"
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"शेर फिर मेरे पीछे लग गया। वो फिर मेरे पास आने ही वाला था कि अचानक वो फिर फिसला और मैं फिर आगे निकल गया।
तभी मुझे कुछ दूर पर एक घर दिखा।
मैंने उस घर की तरफ दौड़ना शुरू कर दिया।
शेर अब भी मेरे पीछे था। वो फिर मेरे एकदम पास आ गया।
वह मुझे पकड़ने ही वाला था की वो तीसरी बार फिसला।"
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"अपनी बची खुची ताक़त बटोर कर मैं घर के अन्दर भागा और शेर के मुंह पर दरवाज़ा बंद कर दिया।"
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बंता : "वाह यार, मान गया तुझे। तू तो बहुत बहादुर है। मैं तेरी जगह होता, तो मेरी तो पोटी ही निकल जाती "
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संता : पागल, शेर फिसल किस चीज़ पर रहा था ???
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