कौन है पुरुष (who is a Male) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ¤ भगवान की ऐसी रचना है जो बचपन से ही त्याग और समझौता करना सीखता है । ¤
वह अपने चॉकलेटस का त्याग करता है बहन के लिये । ¤ वह अपने सपनो का त्याग कर माता-पिता की खुशी के लिये उनके अनुसार कैरियर चुनता है। ¤
वह अपनी पूरी पॉकेट मनी गर्ल फ़्रेंड के लिये गिफ़्ट खरीदने में लगाता है । ¤ वह अपनी पूरी जवानी बीवी-बच्चों के लिये कमाने में लगाता है । ¤
वह अपना भविष्य बनाने के लिये लोन लेता है और बाकी की ज़िंदगी उस लोन को चुकाने में लगाता है । ¤ इन सबके बावजुद वह पूरी ज़िंदगी पत्नी, माँ और बॉस से डांट सुनने में लगाता है । ¤
पूरी ज़िंदगी पत्नी, माँ, बॉस और सास उस पर कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं । ¤ उसकी पूरी ज़िंदगी दुसरो के लिये ही बीतती है । और बेचारा पुरुष
~~~~~~~~~~~~:- ¤ बीवी पर हाथ उठाये तो "बेशर्म" । ¤ बीवी से मार खाये तो "बुजदिल" । ¤ बीवी को किसी और के साथ देख कर कुछ कहे तो "शक्की" ।
¤ चुप रहे तो "डरपोक" । ¤ घर से बाहर रहे तो "आवारा" । ¤ घर में रहे तो "नाकारा" । ¤ बच्चों को डांटे तो "ज़ालिम" । ¤ ना डांटे तो "लापरवाह" । ¤
बीवी को नौकरी करने से रोके तो"शक्की" । ¤ बीवी को नौकरी करने दे तो बिवी की "कमाई खाने वाला" । ¤ माँ की माने तो"चम्मचा" । ¤ बीवी की माने तो "जोरु का गुलाम"।
पूरी ज़िंदगी समझौता, त्याग और संघर्ष में बिताने के बावजुद वह अपने लिये कुछ नहीं चाहता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ इसलिये पुरुष की हमेशा इज़्ज़त करें । पुरुष, बेटा, भाई, पति, दामाद, पिता हो सकता है,
जिसका जीवन हमेशा मुश्किलों से भरा हुआ है। कुछ मित्रो कि शिकायत थी की हमेशा नारी कि तारीफ मेँ पोस्ट डालते हो आज शायद उनकी शिकायत दूर हो गई होगी ।
अब forward करके के अपना कर्त्तव्य भी निभाओ ।
वह अपने चॉकलेटस का त्याग करता है बहन के लिये । ¤ वह अपने सपनो का त्याग कर माता-पिता की खुशी के लिये उनके अनुसार कैरियर चुनता है। ¤
वह अपनी पूरी पॉकेट मनी गर्ल फ़्रेंड के लिये गिफ़्ट खरीदने में लगाता है । ¤ वह अपनी पूरी जवानी बीवी-बच्चों के लिये कमाने में लगाता है । ¤
वह अपना भविष्य बनाने के लिये लोन लेता है और बाकी की ज़िंदगी उस लोन को चुकाने में लगाता है । ¤ इन सबके बावजुद वह पूरी ज़िंदगी पत्नी, माँ और बॉस से डांट सुनने में लगाता है । ¤
पूरी ज़िंदगी पत्नी, माँ, बॉस और सास उस पर कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं । ¤ उसकी पूरी ज़िंदगी दुसरो के लिये ही बीतती है । और बेचारा पुरुष
~~~~~~~~~~~~:- ¤ बीवी पर हाथ उठाये तो "बेशर्म" । ¤ बीवी से मार खाये तो "बुजदिल" । ¤ बीवी को किसी और के साथ देख कर कुछ कहे तो "शक्की" ।
¤ चुप रहे तो "डरपोक" । ¤ घर से बाहर रहे तो "आवारा" । ¤ घर में रहे तो "नाकारा" । ¤ बच्चों को डांटे तो "ज़ालिम" । ¤ ना डांटे तो "लापरवाह" । ¤
बीवी को नौकरी करने से रोके तो"शक्की" । ¤ बीवी को नौकरी करने दे तो बिवी की "कमाई खाने वाला" । ¤ माँ की माने तो"चम्मचा" । ¤ बीवी की माने तो "जोरु का गुलाम"।
पूरी ज़िंदगी समझौता, त्याग और संघर्ष में बिताने के बावजुद वह अपने लिये कुछ नहीं चाहता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ इसलिये पुरुष की हमेशा इज़्ज़त करें । पुरुष, बेटा, भाई, पति, दामाद, पिता हो सकता है,
जिसका जीवन हमेशा मुश्किलों से भरा हुआ है। कुछ मित्रो कि शिकायत थी की हमेशा नारी कि तारीफ मेँ पोस्ट डालते हो आज शायद उनकी शिकायत दूर हो गई होगी ।
अब forward करके के अपना कर्त्तव्य भी निभाओ ।
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