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एक राजकुमारी थी

एक ऐसी कहानी जो दिल छु जाए
एक राजकुमारी थी बहुत ही सुँदर !
एक सिपाही को राजकुमारी से प्यार हो गया !
उसने राजकुमारी को एक दिन जरोखे में खड़े देखा !
सिपाही ने राजकुमारी को प्रपोज किया और कहा की जब तक तुम जवाब नहीं दोगी,
मैँ यही बहार खड़ा रहूँगा !
वहाँ बहुत बरफ गिर रही थी !
राजकुमारी ने सोचा की चलो मैँ इसका इम्तहान लेती हुँ !
उसने उस दिन कुछ जवाब नहीं दिया और वहा से चली गई!
दूसरे दिन सुबह उठके देखा तो वो वही कडकडाती ठण्ड में खड़ा था !
राजकुमारी को लगा बन्दे में कुछ तो दम है,
लेकिन मैँ दस दिन तक इनका इम्तहान लेती हुँ और दसवे दिन जाकर हाँ बोल दूंगी !
दिन गुजरते गए तीन दिन,पाच दिन,आठ दिन,रोज सुबह वो देखती की वो वहीँ खड़ा है,
बिना कुछ खाए पिए !
और अब तक रोज बर्फ गिर रही है !
नौवा दिन हुवा, राजकुमारी जरोखे में गयी,
उसने देखा उसका प्यार वहीँ खड़ा था !
राजकुमारी ने सोचा, बस एक दिन और,उसके बाद कल सूरज निकलते ही मैँ उसके पास जाके गले से लिपट जाउंगी और कह दूंगी, मैँ भी तुमसे बहुत प्यार करती हुँ !
दसवाँ दिन आ गया, अभी सूरज निकला नहीं था !
राजकुमारी को पूरी रातनींद कहा आई थी,
वह तो बस सुबह होने का इंतजार कर रही थी !
जैसे हीँ सूरज की पहली किरण धरती को छूती है,
राजकुमारी दौड़ती हुई जाती है !
जैसे ही वहाँ पहुँचती है, पाँव के नीचे से धरती खिसक जाती है !
सिपाही मर चुका होता है,
वह वही बैठ कर रोने लगती है
उसे अपने आप पर धिक्कार होता है !
MORAL :- प्यार का कभी इम्तहान मत लो,क्या पता वो आपको छोड के कब चला जाये और आपके पास आंसू बहाने के आलावा कोई चारा ना बचे

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