Header Ads Widget

Responsive Advertisement

मात्र 75 घर वाले इस गांव ने 47 IAS अधिकारी दिए है भारत को...!

जीवन में सबका एक सपना ज़रूर रहता है की वह इतने मशुर हो जाये की दुनिया उसे उसके नाम से जाने आज हम आपको बताने जा रहे है ऐसी ही कुछ बात हमारे इस संस्कृति के देश भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं , यहाँ के हर जिले ,हर गाव , में हर शहर में प्रतिभाशाली लोग है। लिकेन गाव में सही वातावरण ना मिलने से उनका हुनर दब जाता है हलाकि शहरों में सुविधाएं और अन्य चीज़ो के मिलने की वजह से लोगों की मंजिलें काफ़ी हद तक आसानी से प्राप्त हो जाती है । जबकि गांवों में रहने वालों को बहुत मुश्किल होता है सफलता को पाना। यही मुख्य कारण होता है कि लोग शहर जाते है । हमारे INDIA का सच यही है कि गांवों में शिक्षा के स्तर को देखते हुए ऐसा नही मानाते जहां से देश को आईएस, या अन्य बड़े अफ़सर मिल सकें लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे विचित्र गांव के बारे में बताने जा रहे है , जहां से देश को आईएस, वह अन्य सेवाओं में बड़े अफ़सर मिले है। यह जौनपुर जिले का एक महान गांव है और इस गांव का नाम है 'माधोपट्टी' ।

officers , village, jaunpur,IAS ,india

मात्र 75 घर वाले इस गांव ने 47 IAS अधिकारी बने है

जी हाँ जौनपुर जिले में माधोपट्टी एक गांव में जहां से कई आईएएस और ऑफिसर हैं. इस गांव में महज 75 घर हैं, लेकिन यहां के 47 आईएएस अधिकारी विभिन्‍न विभागों में सेवा दे रहे हैं. इतना ही नहीं माधोपट्टी की जमीन पर पैदा हुए बच्‍चे ISRO, भाभा, काई मनीला और विश्‍व बैंक तक में अधिकारी हैं ! इसका इतिहास अंग्रेज़ों के ज़माने से चला आ रहा है. देश के प्रख्यात शायर रहे वामिक, जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन ने सन 1914 पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। यही से प्रशासनिक अधिकारी के रूप में नींव पड़ गयी।

officers , village, jaunpur,IAS ,india


इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक पास हुए यह सन 1952 में हुआ लेकिन जैसे ही इन्दू प्रकाश सिंह का सलेक्शन क्या हुआ मानो यहां युवा वर्ग को खुद को साबित करने की होड़ लग गई.आईएएस बनने के बाद इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे. इस गांव के चार सगे भाइयों ने आईएएस बनकर जो इतिहास रचा है वह आज भी भारत में कीर्तिमान हैइन चारों सगे भाइयों में सबसे पहले 1955 में आईएएस की परीक्षा में 13वीं रैंक पास करने वाले विनय कुमार सिंह का चयन हुआ. विनय सिंह बिहार के मुख्यसचिव पद तक पहुंचे. सन् 1964 में उनके दो सगे भाई क्षत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह एक साथ आईएएस अधिकारी बने. क्षत्रपाल सिंह तमिलनाड् के प्रमुख सचिव रहें, प्रकाश सिंह IAS, वर्तमान में उ.प्र. के सचिव नगर विकास है .गरिमा सिंह IPS, सोनल सिंह IRS, विनय सिंह भाई के चौथे भाई शशिकांत सिंह 1968 आईएएस अधिकारी बने.इनके परिवार में आईएएस बनने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. 2002 में शशिकांत के बेटे यशस्वी न केवल आईएएस बने बल्‍कि इस प्रतिष्ठित परीक्षा में 31वीं रैंक हासिल की. इस कुनबे का रिकॉर्ड आज तक कायम है.इसके अलावा इस गांव की आशा सिंह 1980, उषा सिंह 1982, कुवंर चद्रमौल सिंह 1983 और उनकी पत्नी इन्दू सिंह 1983, अमिताभ बेटे इन्दू प्रकाश सिंह 1994 आईपीएएस उनकी पत्नी सरिता सिंह 1994 में आईपीएस भारत की सर्व प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में चयनित होकर इस गांव का मान और बढ़ाया । इस गांव के लोगों ने अपनी मेहनत से पूरे देश को दिखा दिया कि सच्ची लगन, मेहनत और एकाग्रता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

Post a Comment

0 Comments