जी हाँ दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे है एक सच्ची कहानी जो की शाहजहाँ और मुमताज़ से जुडी है ! आज भी मुमताज की आत्मा भटकती है। भटक रही है मुमताज यूं तो world famous आगरा का ताजमहल बादशाह शाहजहां के अपनी बेगम Mumtaz महल के प्रति बेपनाह मोहब्बत की story को बयां करता है ! परंतु शायद बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि Taj Mahal बनने तक मुमताज के मृत शरीर को बुरहानपुर के बुलारा महल में दफनाया गया था और लोगों की मानें तो इन खंडहरों में आज भी मुमताज की आत्मा भटकती है। काली मस्जिद की सरकार - देवास के श्मशान घाट के पास स्थित है ! एक अनजान बाबा की दरगाह जो काली मस्जिद के नाम से प्रसिद्ध है !
यहां दूर-दूर से श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं और उनकी मुरादें पूरी होती हैं। शापित मंदिर स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां की राजकुमारी के राज्य के सेनापति से प्रेम संबंध थे ! जो राजा को नागवार गुजरे ! उसके बाद रहस्यमय परिस्थितियों में राजकुमारी की मृत्यु हो गई ! वहीं सेनापति ने भी मंदिर परिसर में आत्महत्या कर ली ! इसके बाद यह मंदिर भूतिया मंदिर बन गया ! भटकती आत्माएं- आपने सुना होगा कि कई ऐसे रास्ते और पूल हैं जिन्हें भूतिया माना जाता है ! उन रास्तों और पूल पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है ! ऐसे ही एक स्थान है मानपुर घाट ! आगरा-मुंबई सड़क मार्ग के बीच स्थित इस घाट को शापित माना जाता है ! भूत बंगला- महू में एक भूतहा घर है ! रात की बात छोड़िए यहाँ तो दिन में भी लोग यहां आने से डरते हैं ! यहां के रहवासियों का कहना है कि रात को इस उजाड़ से दिखने वाले मकान से अजीबोगरीब आवाजें आती हैं !
बुहरानपुर स्टेशन से लगभग 10 Kilometer दूर शहर के बीच बहने वाली ताप्ती नदी के उस पार जैनाबाद "फारुकी काल" जो कभी बादशाहों की शिकारगाह "आहुखाना" हुआ करता था ! दक्षिण का सूबेदार बनाने के बाद शहजादा दानियाल ने इस जगह को अपने पसंद के अनुरूप महल, हौज, बाग-बगीचे के बीच नहरों का निर्माण करवाया ! 8 अप्रैल 1605 को मात्र तेईस साल की उम्र मे सूबेदार की मौत हो गई ! इसके बाद आहुखाना उजड़ने लगा ! जहांगीर के शासन काल में अब्दुल रहीम खानखाना ने ईरान से खिरनी एवं अन्य प्रजातियों के पौधे मंगवाकर आहुखाना को फिर से ईरानी बाग के रूप में विकसित कराया ! इस बाग का नाम शाहजहां की पुत्री आलमआरा के नाम पर रखा गया !
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